गुरुवार, 4 मार्च 2010

देखिये,ये हैं "सुशासन बाबू" यानि मुख्यमंत्री नीतीश के घर-जिले नालंदा में गरीबों को टरकाने वाले हिलसा अनुमंडल के एसडीओ

कहानी है बिहार के “सुशासन कुमार” के नाम से चर्चित मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर-जिले नालंदा के नगरनौसा प्रखंड-अंचल के लोदीपुर गाँव के मजदूर वर्ग के एक फटेहाल परिवार की.इस परिवार का जनवितरण प्रणाली से राशन कार्ड हटा दिया गया है. अति पिछड़ी “कहार” जाति के प्रवेश राम की पत्नी नीचे स्तर से लेकर एसडीओ (अनुमंडल स्तर) तक गुहार लगाकर थक चुकी है. जिले के हिलसा अनुमंडल के एसडीओ ने श्री राम की पत्नी से जो कुछा कहा, वो खुद में हास्यास्पद है और यह दर्शाता है कि नीतीश जी के सुशासन में भी वरीय अधिकारी तक आम गरीव लोगों को किस तरह टरकाते हैं.
पीडिता की शिकायत है कि उसका नाम गरीबी रेखा के नीचे होने के बाबजूद राशन कार्ड लुप्त कर दी गई है.जब नीचले स्तर पर कोई सुनवाई नहीं की गई तो उसने अनुमंडल पदाधिकारी से सीधे मिलकर मौखिक-लिखित शिकायत की.अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा उसका व उसके पति-बच्चों के नाम साधारण सूची में(ससुर) के साथ जोड़ दिया गया है.जबकि,दो माह पूर्व उसका नाम गरीबी रेखा के नीचे होने के कारण पास पीला राशन कार्ड सूची में था और जब आंगनबाडी केन्द को सूची-सुधार का कार्य सौंपा गया तो उसके बाद उसका राशन कार्ड क्रम लुप्त कर दिया गया. इस संबंध में जब आंगनबाडी केंद्र संचालिका से संपर्क किया तो उसने बताया कि उसने नाम यथावत छोड़ दिया था लेकिन मुखिया ने अपनी दबंगता दिखाते हुए सूची के उस पेज को ही फाड़ दिया जिसमे पीड़ीता के परिवार का नाम अंकित था.
उल्लेखनीय है कि उक्त पीड़ीत परिवार के पास मात्र एक-डेढ डीसमील भूमि है और वीते वर्ष गरीवी रेखा के नीचे होने के कारण एकल परिवार के तहत उसे इंदिरा आवास तथा परिवार नियोजन व अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थी.
वहरहाल,यह समस्या सिर्फ एक गरीब परिवार की नहीं है अपितु अकेले नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड-अंचल के नाना प्रकार के बुनियादी समस्याओं से ग्रस्त रामपुर पंचायत के सैकड़ों परिवार की है जो नीतीश राज” के कथित सुशासन को मुहँ चिढ़ा रही है.अत्यंत दुर्भाग्यजनक पहलू तो यह है कि स्थानीय विधायक व प्रदेश के मानव संसाधन मंत्री हरिनारायण सिंह पड़ोस के गाँव के ही रहने वाले हैं.फिर भी इस पंचायत की समस्याओं में दिलचस्पी नहीं लेते.शायद इसलिए कि वे जितनी बार चुनाव जीते हैं,उसमें कभी “लालू लहर” बड़ा फैक्टर रहा तो अब “नीतीश-सुशासन” की पतेवार दिमाग में है.

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