भडास4मीडिया से पता चला कि आईबीएन के आसुतोष जी के हाथो ईलेक्ट्रोनिक मीडया (टीवी जर्नलिज्म) मे उन्नत प्रशिक्षण हेतु एक “न.1 जर्नलिस्ट.काम” नामक बेबसाईट का शुभारंभ क्या गया किया गया है.संबन्धित सूचना मे उक्त बेबसाईट का लिंक भी था.इस बेबसाईट का आंकलण करने पर शुरू मे विचारोतेजक लगा.मैने इसका नियमित गहन अध्ययन किया.लगा कि मीडिया के नाम पर नई प्रतिभाओ के शोषण के आलोक मे एक तारिफेकाबिल पहल है.लेकिन बाद मे समझ मे आया....नतीजा वही पुराने ढाक के तीन पात........मीडिया मे प्रतिभा विकास के नाम पर अभी खेल जारी है......! प्रथम बार मैने देखा कि आन लाइन कोर्स का शुल्क 2000रू. निर्धारित है.शुल्क का भुगतान चेक या डीडी से निर्देशित था.उसके बाद निर्धारित अवधि के भीतर 1500रू. देय लिखा था. अगले दिन निर्धारित अवधि के भीतर 1000रू. देय लिखित था.मैने 1000रू. का बैंक ड्राफ्ट निबन्धित डाक से भेज दिया.कई दिनो तक कोई प्रत्युतर नही मिलने पर फोन से संपर्क किया तो प्राप्त नही होने की सूचना दी गई.फिर मैने ड्राफ्ट,बैंक-डाकघर रशीद की स्कैन कापी ई-मेल द्वारा भेजी. उसके बाद मैने कई बार न.1 जर्नलिस्ट.काम से फोन पर संपर्क किया लेकिन, हर बार निबन्धित डाक न मिलने की सूचना दी गई. करीव महीना भर बाद निबन्धित डाक वापस लौट आया.डाकिया ने क्रमशः एक सप्ताह तक लिफाफे के पिछे पता गलत होने की पुष्टि की थी.इस सन्दर्भ मे विशेष कहूँ तो “खाया-पिया कुछ नहीं और गिलास तोडा 12 रूपये का” वाली कहावत ही चरितार्थ हुई.बैंक ड्राफ्ट बनाने-निबन्धित डाक से भेजने –पुनः बैंक ड्राफ्ट रद्द कराने मे 200रू खर्च हो गये.अब आप ही बताईये कि आप इसे क्या कहेगे?
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