पहले बाल ठाकरे,फिर उसका भतीजा राज ठाकरे और अब कांग्रेस के मुखियाईन सोनिया मैडम की महाराष्ट्र सरकार.कभी क्षेत्रीय तो कभी भाषाई भावनाएँ भडका कर वोट की राजनीति करने मे माहिर कांग्रेस और उसकी ऐसी सरकारे अखिर देशवासियो के सामने भारत की कैसी तस्वीर प्रस्तुत करना चाहती है!एक तरफ कांगेस सोनिया पुत्र को पार्टी का युवराज घोषित कर राष्ट्रीय राजनीति करने तथा खोई पहचान वापस पाने की एडी-चोटी एक कर रही है वही दुसरी तरफ अपनी ही नेत्रीत्व वाली राज्य सरकर को इस तरह की घिनौनी राजनीति कर रही है कि उसके पूर्वज भी शर्मा जाये.जबकि सच्चाई तो यह है मुंबई न तो बाल-राज ठाकरे की बाप की जागीर है और न ही कांग्रेस या अन्य किसी भी राजनीतिक दल की एकमात्र सूबा.इस तरह के लोग,दल या सरकार कल ये न कहना शुरू कर दे कि मुंबई मे वही लोग रह सकते है जिन्हे मराठी भाषा लिखने-पढने-बोलने आता हो.अब समय आ गया है सोनिया की कांग्रेस देश के सामने यह स्पष्ट करे कि वे स्व.नेहरू के फूट डालो राज करो की राजनीति करते रहेगी कि कभी सरदार बल्लभभाई पटेल की अखंड राष्ट्र के मूल्यो को बनाये रखेगी
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