राँची: वेशक शिबू सोरेन क्या बोलते-करते हैं इस पर विश्वास अब नहीं किया जा सकता लेकिन अपने बोकारो आवास पर उन्होंने पत्रकारों से जो कुछ कहा,वे स्पष्ट संकेत दे रहे है कि झारखंड जैसा बदहाल प्रांत एक बार फिर राष्टपति शासन की ओर बढ़ रहा है.
मुख्यमंत्री एंव झारखंड मुक्ति मोर्चा के सर्वोसर्वा नेता(?) शिबू सोरेन ने कहा कि प्रदेश में जब उनकी सरकार काम कर रही है तो कोई नई सरकार बनाने का सवाल ही कहाँ उठता है. उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री हैं और किसी सूरत में इस्तीफ़ा नहीं देंगे.
महज ४८ घंटे पहले दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भाजपा सांसद अर्जुन मुंडा को सीधे आर्शीवाद देने वाले श्री सोरेन ने पलती मारते हुये कहा कि पहले भाजपा अपना नेता तय करे.इसके बाद उनकी पार्टी झमुमो कार्यसमिति की बैठक कर मुख्यमंत्री पड़ का फैसला करेगी. यदि भाजपा पहले के २८ महीना झामुमो को सौंपे तो बात बन सकती है.
उनके मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए छह महीने के भीतर चुनाव लड़ने की वाध्यता की बाबत उन्होंने कहा कि वे चुनाव लड़ेगें.
राजधानी राँची में कभी कुछ,राजधानी दिल्ली में कभी कुछ तो अपने बोकारो आवास में कभी कुछ बोलकर प्रदेश में राजनीतिक तापमान बढ़ाने-घटने में माहिर हो चुके श्री सोरेन के पिछले ७२ घंटे का आंकलन करने पर साफ स्पष्ट होता है कि वे किसी अन्य को मुख्यमंत्री बनाने देने के इरादे में नहीं हैं.यदि वे मुख्यमंत्री पद पर रहते हुये विधानसभा का चुनाव अब लड़ना भी चाहें तो ये संभव प्रतीत नहीं होता है क्योंकि वे करी चार महीने से वतौर सांसद मुख्यमंत्री के पड़ पर बने हैं और चुनाव आयोग को संबंधित सूचना भेजने की अंतिम तारीख १५ मई निकल चुकी है.
उधर भाजपा ने शिबू के इन सब बातों को अब काफी गंभीरता से लिया है और उसके शीर्ष नेतृत्व ने पूर्व के निर्णयों से एक कदम भी न हटने का इरादा बना चुकी है.उधर कांग्रेसनीत यूपीए गठबंधन शिबू सोरेन को सता का भावी सब्जबाग दिखाकर उनकी झामुमो को भाजपा से अलग करने हेतु सारे तिकडम भिड़ा रखे हैं.ताकि एक योजनागत तरीके से झारखंड प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करवाया जा सके. जाहिर है कि राष्ट्रपति शासन का अर्थ होता है-केंद्र का शासन और ऐसे में एक झटके में प्रदेश की पूरी सता स्वतः उसके हाथ में आ जायेगी.
मुख्यमंत्री एंव झारखंड मुक्ति मोर्चा के सर्वोसर्वा नेता(?) शिबू सोरेन ने कहा कि प्रदेश में जब उनकी सरकार काम कर रही है तो कोई नई सरकार बनाने का सवाल ही कहाँ उठता है. उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री हैं और किसी सूरत में इस्तीफ़ा नहीं देंगे.
महज ४८ घंटे पहले दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भाजपा सांसद अर्जुन मुंडा को सीधे आर्शीवाद देने वाले श्री सोरेन ने पलती मारते हुये कहा कि पहले भाजपा अपना नेता तय करे.इसके बाद उनकी पार्टी झमुमो कार्यसमिति की बैठक कर मुख्यमंत्री पड़ का फैसला करेगी. यदि भाजपा पहले के २८ महीना झामुमो को सौंपे तो बात बन सकती है.
उनके मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए छह महीने के भीतर चुनाव लड़ने की वाध्यता की बाबत उन्होंने कहा कि वे चुनाव लड़ेगें.
राजधानी राँची में कभी कुछ,राजधानी दिल्ली में कभी कुछ तो अपने बोकारो आवास में कभी कुछ बोलकर प्रदेश में राजनीतिक तापमान बढ़ाने-घटने में माहिर हो चुके श्री सोरेन के पिछले ७२ घंटे का आंकलन करने पर साफ स्पष्ट होता है कि वे किसी अन्य को मुख्यमंत्री बनाने देने के इरादे में नहीं हैं.यदि वे मुख्यमंत्री पद पर रहते हुये विधानसभा का चुनाव अब लड़ना भी चाहें तो ये संभव प्रतीत नहीं होता है क्योंकि वे करी चार महीने से वतौर सांसद मुख्यमंत्री के पड़ पर बने हैं और चुनाव आयोग को संबंधित सूचना भेजने की अंतिम तारीख १५ मई निकल चुकी है.
उधर भाजपा ने शिबू के इन सब बातों को अब काफी गंभीरता से लिया है और उसके शीर्ष नेतृत्व ने पूर्व के निर्णयों से एक कदम भी न हटने का इरादा बना चुकी है.उधर कांग्रेसनीत यूपीए गठबंधन शिबू सोरेन को सता का भावी सब्जबाग दिखाकर उनकी झामुमो को भाजपा से अलग करने हेतु सारे तिकडम भिड़ा रखे हैं.ताकि एक योजनागत तरीके से झारखंड प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करवाया जा सके. जाहिर है कि राष्ट्रपति शासन का अर्थ होता है-केंद्र का शासन और ऐसे में एक झटके में प्रदेश की पूरी सता स्वतः उसके हाथ में आ जायेगी.
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