समझ मे नही आता कि ऐसे लोगो को क्या कहा जाय. संवाददाता या कार्यकर्ता या..........या कुछ और. मै नही समझता कि रांची से प्रकाशित “अखबार नही आन्दोलन” का दावा करने वाली दैनिक प्रभात खबर के जिस संवाददाता के बारे मे लिखने जा रहा हूँ, वह यह सब लिखने लायक है भी कि नही? राजधानी रांची जिले के ओरमांझी जैसे ग्रामीण क्षेत्र मे पहली बार कंपूटर शिक्षा से जुडे आई एल एफ एस और कंप्यूटर निर्माण से जुडे कंपणी इंटेल ने एक स्थानीय “सियाजी इंस्च्यूटओफकंप्यूटर एजुकेशन+मैनेजमेंट“ के अथक प्रयास से “ग्रामीण क्षेत्रो के छात्र-छात्राओ के व्यक्तित्व विकास और कंप्यूटर शिक्षा”विषय पर राष्ट्रीय स्तर का सेमीनार का आयोजन किया गया.अखबार का संवाददाता पूरे कार्यक्रम मे उपस्थित था.लेकिन इस संवाददाता ने विषय से हटकर समाचार ही प्रेषण नही किया अपितु मुख्य वक्ताओ के जनशब्दो की जगह अपने चहेते लोगो के नाम छापा,जिसका आयोजन से कोई संबन्ध नही था.आई.एल.एफ.एस.व इंटेल के मुख्यवक्ताओ के नाम भी न छपे.समूचा समाचार महज खानापूर्ति लग रहा है.आखिर रांची के बडे-बडे होटलो मे दो-चार लोगो के सेमिनार को काफी प्रमुखता देने वाली दैनिक प्रभात खबर ग्रामीण क्षेत्रो के प्रति ऐसी नकारात्मक रवैया क्यो अपनाती है.ओरमांझी के रोहितलाल नामक जैसे संवाददाताओ के बदनाम करनेवाली छवि को प्रश्रय देकर यह अखबार किस नये झारखंड के निर्माण करने मे योगदान देने का दावा कर रही है
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